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जिंदगी में अजब सिलसिले हो गये / रंजना वर्मा

जिंदगी के अजब सिलसिले हो गये
आज महफ़िल में सब दिलजले हो गये

यूँ बहारों का मौसम गुज़र भी गया
फूल सारे मगर अधखिले हो गये

एक भी बूँद आयी न रुख़सार पे
अश्क़ आँखों मे जैसे पले हो गये

इक सुनामी लहर कर गयी फ़ैसला
लोग सारे अचानक भले हो गये

हैं खिज़ा भी तो रिश्ता निभाती रही
खार औ फूल सब दिल मिले हो गये

नींद ही उड़ गयी जब पलक कोर से
ख़्वाब सब आँख के झलमले हो गये

प्रीत की रीति ऐसी अजब है सखी
श्याम के प्यार में साँवले हो गये