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जिंदगी है क्या यही अब सोचना है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जिंदगी है क्या यही अब सोचना है
असलियत हर एक की पहचानना है
जो हमेशा दे रहा है मात हम को
कौन है वो बस यही तो जानना है
मत करो बरसात उन पर पत्थरों की
घर तुम्हारा भी तो शीशे का बना है
देश के नेतृत्व पर उंगली उठाते
भूल जाते हो उन्हें हमने चुना है
दुश्मनी की आग को भड़का रहीं जो
उन हवाओं को हमे अब रोकना है
तोड़ने के लिये है तैयार दुनियाँ
पर हमें सबको परस्पर जोड़ना है
माँगते जगदीश से हम हाथ जोड़े
सब तरफ सुख शांति की ही कामना है