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जिजीविषा / राकेश रोहित
Kavita Kosh से
डूबने वाले जैसे तिनका बचाते हैं
मैं अपने अन्दर एक इच्छा बचाता हूँ ।
कहने वालों ने नहीं बताया
नूह की नाव को
यही इच्छा
खे रही थी
प्रलय प्रवाह में !
संसार की सबसे सुन्दर कविताएँ
और बच्चे की सबसे मासूम हँसी
इसी इच्छा के पक्ष में खड़ी होती हैं ।
आप कभी गेंद देखें
और पास खड़ा देखें छोटे बच्चे को
आप जान जाएँगे इच्छा कहाँ है !