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जिजीविषा / शिवनारायण / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
टापेटुप अन्हरिया केॅ चीरतेॅ
दीया रोॅ बाती
हमरोॅ कोठरी में टिमटिमावै छै
आरोॅ
हमरोॅ असकरोॅ मोॅन
जब्बड़ खींचतान के बीच
जीवनेच्छा रोॅ छोर खोजी रहलोॅ छै।
अथाह दुखोॅ के बीचोॅ
हम्में जीयै लेॅ चाहै छी
कैंन्हें कि तड़तड़िया दुखोॅ सें लडै़वाला
दबलोॅ-कुचलोॅ लोगों लेॅ
हम्में अपना आप केॅ
असकल्लोॅ प्रतिनिधि होय के
ऐलान करतेॅ रहौं।
ताकि
मिसाइलवाला देशोॅ के सीना पर
आपनोॅ सुराहा संघर्षों के
टाँक लगावेॅ सकौं।
अन्हरिया केॅ चीरतें
अभियो टिमटिमाय रहलोॅ छै
कि एकटा नान्होॅ दुनियां
हमरोॅ भीतर
चहचहावेॅ लागलोॅ छै।