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जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है / हरियाणवी

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जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है जन्म हुआ है
हुई है बजर की रात
पहरे वाले लाडो सो गए लग गए चन्दन किवाड़
गुड़ की पात तेरी अम्मां वह पीवै
टका भी खरचा न जाय
सौ सठ दिवले बिटिया बाल धरे हैं तो भी गहन अंधेर
जिस दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात
सूतों के पलंग लल्ला अम्मां बी पौढे सुरभि का घृत मंगाय
बूरे की पात तेरी अम्मां तो पीवै
बाबल लुटावै दाम
एक दिवला रे लल्ला बाल धरा है चारों ही खूंट उजाला
जिद्दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात
घर बी सून्ना आंगन बी सूना लाडो चली पिता घर तियाग
घर में तो उस के बाबल रोवैं अम्मां बहिन उदास
कोठे के नीचे से निकली पलकिया निकली पलकिया
आम नीचे से निकला है डोला भय्या ने खाई है पछाड़
कोयल शब्द सुनाम
खेल क्यूं ना ले लाडो कौले की गुड़िया मिल क्यों ना ले संग की सहेली
कैसे खेलूं रे बाबा कौले की गुड़िया अब कैसे मिल लूं संग की सहेली
सासू के जाये ने झगड़ा है डाला अब नहीं मिलने हार जी
माय कहै मेरी नित उठ आइयो बाबल कै छठे मास
भैया कहै जीजी काज परोजन या भतीजे के भये
क्या आऊं रे बाबा काज परोजन या भाभी के जाये
क्या आऊं रे बाबा सावन की तीजो क्या रे भतीजों के ब्याह
डोले के पीछे बाबा भी चलिया रथ का पकड़ा है डांड
मेरी तो बेटी रे समधी महलों की बांदी हम तेरे बंदे गुलाम
ऐसा बोल ना बोल मेरे लायक समधी
तुम्हारी तो बेटी मेरे महलों की रानी तुम हमारे सिर के ताज