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जिधर खुला व्योम होता है (कविता) / केशव शरण
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(जिधर खुला व्योम होता है. / केशव शरण से पुनर्निर्देशित)
तंग करती है-
तंगनिगाही,
तंग करती है
तंगमिज़ाजी,
तंग करती है
तंगदिली
उनकी
इसलिए
विक्षोभ होता है
और मैं भागता हूँ उस अलंग
जिधर खुला व्योम होता है
उधर ही
हवा, हरियाली और मौसम से सँयुक्त मैं
महसूस करता हूँ मन को अपने राग-द्वेष से मुक्त मैं
और उन्मुक्त उड़ता हूँ-
एक परिन्दे की तरह
फूल के गुच्छे और
किसी दुपट्टे की तरह