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जिनके घर हैं वो ही घर जायेगे / सिया सचदेव
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जिनके घर हैं वो ही घर जायेगे
हम तो बेघर हैं किधर जायेगे
ये खुला आसमाँ हैं छत मेरी
इस ज़मीन पर ही पसर जायेगे
हम तो भटके हुए से राही है
क्या खबर है की किधर जायेगे
आपके ऐब भी छुप जायेगे
सारे इलज़ाम मेरे सर जायेगे
नाम लेवा हमारा कौन यहाँ
हम तो बेनाम ही मर जायेगे
न कोई हमनवां न यार अपना
हम तो तनहा है जिधर जायेगे