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जिनको रस्ता न मिलेगा वो किधर जायेंगे / रंजना वर्मा

जिनको रस्ता न मिलेगा वह किधर जायेंगे
रेगजारों में भटकते ही नज़र आयेंगे

आज फिर बागे सबा कान में ये कह के गयी
शाम तक फूल ये सब खिल के बिखर जायेंगे

हाथ में हाथ हमारे जो तुम्हारा होगा
हम बियावानों से भी हँस के गुज़र जायेंगे

यूँ तो खुशबू से महकता ही रहा है आँगन
भोर जब होगी तो घर बार निखर जायेंगे

ग़र न इंसान को हो पाई हुनर की ही कदर
फिर हुनर ले के कहाँ अहले हुनर जायेंगे
 
साथ तेरा न सही साथ का एहसास तो है
जो न एहसास रहा साथ तो मर जायेंगे

जाने क्यों लोग बिना बात अदावत करते
सींच लें प्यार से जज़्बात संवर जायेंगे