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जिनगी: एगो परछाईं / संजय कुमार मिश्र 'बब्लू'
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जिनगी एगो सपना बा
जे सजेला
आउर सजावल जाला।
जिनगी एगो आसमान बा
जे अपना पीछे धउरे पर
मजबूर करेला।
जिनगी एगो भावुक मन
के नाम बा
जे जीये के नया तरीका
बतावेला।
-ई सब झूठ बा
साँच अतने बा कि जिनगी
एगो परछाईं बा
जे उमिर का साथे चली,
लेकिन-
पकड़ में कहियो ना आई।