जिनिगी का ह? / मनोज भावुक
जिनिगी का ह? ई जुआ ह
कबो सतुआ ह कबो पुआ ह
कबो रोग-शोक, कबो डर-डाह
कबो वाह-वाह, कबो आह-आह
कबो बरफी, दूध, मलाई ह
कबो भइया, भउजी, माई ह
कबो भइया उहे कसाई ह
जिनिगी का ह व्यवहार ह
जिनिगी का ह व्यवहार ह
मन, हृदय, प्राण के हार ह
कबो सुघर रूप सिंगार ह
कबो शोला ह, अंगार ह
साधु-संतन का भाषा में
सब माया के बाज़ार ह,
सउदाबाजी व्यापार ह
जिनिगी का ह पाखंड ह
जिनिगी का ह पाखंड ह
ई झूठ-पाप के दंड ह
ई नरककुंड ई नाशवान
दीं मोक्ष, मुक्ति हे दयावान
कुछ लोग कहे, ई तमाशा ह
जिनिगी त घोर निराशा ह
झाँकी भावुक का हियरा में
ई आशा ह ई आशा ह
ई साँचो, दूध-बतासा ह
जिनिगी का ह ई धड़कन ह
धड़कन के दूसर नाम ह
रूके त, पूर्ण विराम ह
गतिमयता के परिणाम ह
कबो रावण ह, कबो राम ह
कबो राधा के घनश्याम ह
एगो मिशन ह एगो धाम ह
सब बीतल पिछला वर्ष ह
जिनिगी का ह संघर्ष ह
जिनिगी का ह संघर्ष ह
कबो विरह व्यथा, कबो हर्ष ह
कबो सिंह त कबो सियार ह
सब वक्त-वक्त के मार ह
कबो जीत ह, कबो हार ह
कबो दुश्मन ह कबो यार ह
झाँकी भावुक का अँखियन में
ई प्यार ह ई प्यार ह
जिनिगी का ह ई साधन ह
नारायण तक पहुँचे खातिर
जाँचे खातिर, सोचे खातिर
ई जनम भइल काहे खातिर?
मानुष तन बा काहे खातिर?
पशुता से ऊपर उठ आ सोच
हे मानव! अब मानव खातिर।
गीता, कुरान, सब वेद पुराण,
के इहे मूल ह सार ह
जिनिगी कुछुओ ना प्यार ह