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जिनिगी क कहानी / रामप्रकाश शुक्ल "निर्मोही"
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अँजुरी में भरल जइसे पानी
जिनिगी क एतनै कहानी
जिनिगी क चिट्ठी घूमैं शहरि-शहरिया
बचपन जवानी आ बुढ़ापा के मोहरिया
लगि-लगि पहुँचै ठेकानी
सुख-दुख-हँसी-खुशी शादी-ब्याह-गवना
जिनिगी के मेला में बिकाला ई खेलवना
कीनि-कीनि खरची खटानी
जिनिगी-पतंग के उड़ावै होनहरवा
एक दिन कटि बिखराई कागज-डोरवा
पाँचो तत्त लुटिहैं कमानी
समय क समुंदर प्रान पानी भरल गगरी
कहियो फुटी त बिखराइ जाई सगरी
पनिया से मिलि जाई पानी
कबहुँ घटावल करत कबो जोड़वा
बेटी के बियाहे जइसे बपई के गोड़वा
आइसे थकलि जिनगानी