भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिन्दगी का गुलशन / पल्लवी मिश्रा
Kavita Kosh से
जिन्दगी के गुलशन में
चन्द क्यारियाँ हैं
तबस्सुम की
चन्द फव्वारे हैं आँसुओं के-
चेहरों का आफताबी नूर है
और साए हैं गेसुओं के-
सैर करने के लिए
इस गुलिस्ताँ में
वक्त बहुत ही कम है-
खुश रहो,
तो हैं खुशियाँ ही खुशियाँ
वरना है
उदासी बहुत
और बेशुमार गम हैं-
मर्जी तुम्हारी है
किस तरह?
गुजारो जिन्दगी-
मुहब्बत के चन्द लम्हों पर
कुर्बान
अपनी तो
हजारों जिन्दगी।