भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिन्हें छोड़कर जा रहा हूँ / निकअलाय रेरिख़ / वरयाम सिंह
Kavita Kosh से
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Николай Рерих
утром.