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जिन्होंने मरने से इन्कार किया / मनमोहन
Kavita Kosh से
जिन्होंने मरने से इन्कार किया
और जिन्हें मार कर गाड़ दिया गया
वे मौक़ा लगते ही चुपके से लौट आते हैं
और ख़ामोशी से हमारे कामों में शरीक हो जाते हैं
कभी-कभी तो हम घंटों बातें करते हैं
या साथ साथ रोते हैं
खा खाकर मर चुके लोगों को यह बात पता चलनी
ज़रा मुश्किल है
जो बड़ी तल्लीनता से अपने भव्य मक़बरे बनाने
और अधमरे लोगों को ललचाने में लगे हैं