भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जियालाल / संज्ञा सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जियालाल रास मंडल मानिक चौक (जौनपुर) का एक रिक्शा वाला है

सुबह के साथ
चौराहे पर होने की बात
करता है वह

रिक्शा
खड़ा करके
हर गुज़रते आदमी की
निग़ाह पढ़ता है

शाम होने पर थका-हारा
जाता है अपनी झोपडी में
पत्नी- बच्चों की निग़ाह में
खो जाती है उसकी
थकान


रचनाकाल : 1994, जौनपुर