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जिसकी हममें कमी है / आंद्री पिअर
Kavita Kosh से
जिसकी हममें कमी है, दोस्तो,
वह है साहस
उस समय बोलने का साहस
जब शब्द जल रहे हों;
पत्थर को पत्थर कहने का
ख़ून को ख़ून
और डर को डर
एक दिन, जब वह बड़ी बर्फ़ आएगी
हहराती हुई
तब कठिन होगा
ख़ुद को समझ पाना
अनुवाद : विष्णु खरे