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जिसके प्रभाव से पृथ्‍वी / कालिदास

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कर्तुं यच्‍च प्रभ‍वति महीमुच्छिलीन्‍ध्रामवन्‍ध्‍यां
     तच्‍छत्‍वा ते श्रवणसुभगं गर्जितं मानसोत्‍का:।
आकैलासाद्विसकिसलयच्‍छेदपाथेयवन्‍त:
     सैपत्‍स्‍यन्‍ते नभसि भवती राजहंसा: सहाया:।।

जिसके प्रभाव से पृथ्‍वी खुम्‍भी की टोपियों
का फुटाव लेती और हरी होती है, तुम्‍हारे
उस सुहावने गर्जन को जब कमलवनों में
राजहंस सुनेंगे, तब मानसरोवर जाने की
उत्‍कंठा से अपनी चोंच में मृणाल के
अग्रखंड का पथ-भोजन लेकर वे कैलास
तक के लिए आकाश में तुम्‍हारे साथी बन
जाएँगे।