जिससे बाँधा बन्धन है।
वह तो अपना ही मन है॥
झूठी बात नहीं कहता
कहता सच ही दरपन है॥
ध्यान धरो जगदीश्वर का
तन तो तप का साधन है॥
मधुसूदन की वंशी से
गूंज रहा वृंदावन है॥
श्वेत कपोत उड़ायें फिर
खुशियों का अभिनन्दन है॥
एक कली जैसी बेटी
महकाती घर आँगन है॥
मृत्यु-नटी है द्वार खड़ी
करना हरि का चिंतन है॥