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जिसे जो चाहिए उसको वही नसीब नहीं / ओम प्रकाश नदीम
Kavita Kosh से
जिसे जो चाहिए उसको वही नसीब नहीं ।
मगर ये बात यहाँ के लिए अजीब नहीं ।
हवाएँ आग बुझाने की बात करने लगीं,
कहीं चुनाव का माहौल तो क़रीब नहीं ।
ज़मीन-ए-ज़र से ही इफ़लास जन्म लेता है,
जहाँ अमीर नहीं हैं वहाँ ग़रीब नहीं ।
कोई बताए कि आख़िर मरीज़ जाएँ कहाँ,
कहीं दवाएँ नहीं हैं कहीं तबीब<ref>डॉक्टर</ref> नहीं ।
हमें भी अपने लिए मार्केट बनाना है,
दुकानदार हैं हम सब कोई अदीब<ref>साहित्यकार</ref> नहीं ।
शब्दार्थ
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