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जिस्म दुहरा( हाइकु) /रमा द्विवेदी

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१-तरसते वे
दो बूँद प्रेम वास्ते
पडा अकाल |

२-गर्भ -सुरक्षा
दे सकती हूँ बेटी
बाहर नहीं |

३-किसी मोड़ पे
काश मिल जावें वो
करीब हैं जो |

४-ज़िस्म दुहरा
भूख की आग सह
समझे कौन?