जिस दिन तुम आने हो होते
नई ताज़गी
नई सुबह ले,
दिन उगता
सूरज से पहले;
उठ जाते सब बिस्तर सोते l
धुंध किताबों की
छंट जाती,
घर भर को
तरतीब सुहाती;
दर्पण भी अपना मुख धोते l
धुली चादरें
परदे लकदक,
सब कुछ लगता
सम्यक-सम्यक,
गमले ताज़ी गंध संजोते l