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जिस दुनिया में / संध्या नवोदिता
Kavita Kosh से
संतृप्त
ऊबे हुए मेरे साथी पुरुष
अब कुछ बचा ही नहीं
तुम्हारे लिए
जहाँ
जिस दुनिया में
चीज़ें शुरू होती हैं
वहीं से
मेरे लिए