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जिस पथ पे मुझे / अशेष श्रीवास्तव
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जिस पथ पर मुझे तेरा साथ मिले
वो पथ ही मेरी मंज़िल ही तो है...
दुनिया की मुझे दरकार नहीं
जब तू हर दम मेरे साथ जो है...
दिखता तो नहीं पर साथ तू है
तू दिल में बसा धड़कन में तू है...
कुछ ऐसे तू मुझ में रच-बस गया
पता नहीं मैं तू हूँ कि तू मैं है...
खुशी हों या ग़म सब हैं तेरे दिये
तेरी हर देन मुझे दिल से अज़ीज़ है...
तू चाहे भूल जाये कोई परवाह नहीं
मैं तुझे याद रखूँ यही मेरी चाह है...
कोई मुझे समझे कोई ना समझे
कोई परवाह नहीं तुझे सब पता है...