जिस सम्त भी देखो है बमों की बरसात
इक आग का गोला बनी जाती है हयात
ऐसे में हो क्या अम्नो-अमां की उम्मीद
बदलें ही न जब कि ना-मसाअद हालात।
जिस सम्त भी देखो है बमों की बरसात
इक आग का गोला बनी जाती है हयात
ऐसे में हो क्या अम्नो-अमां की उम्मीद
बदलें ही न जब कि ना-मसाअद हालात।