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जीतेंगे हम / रोहित रूसिया
Kavita Kosh से
जीतेंगे हम
पहुँचेंगे फिर उसी ठौर
आयेगा जीवन में
फिर से अच्छा दौर
क्या हुआ
जो आज हैं
बेचैन रातें?
क्या हुआ
की हैं किसी ने
चुभती बातें?
आयेगी सुबह
फिर लेकर
मौका और
पेड़ों ने
पतझड़ पर
कब आँसू बहाए
पंछी कब
टूटे नीड़ों से
हार पाए
शाखों पर आयेगीं
कोंपल, पत्ते, बौर
मौन कभी
तन्हा बैठा है
सोचा है?
परछाई रहती है हरदम
देखा है?
दुःख में
साथ वही देती है
करना ग़ौर