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जीत की शुरुआत / प्रदीप शर्मा

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यह खुशी की बात है
यह जीत की शुरुआत है।

ज़ख्म सीने पर है खाये
लेकिन हम हारे नहीं,
अपने पैरों खुद खड़े हैं
नेताओं के सहारे नहीं
जनता सारी जान गई
नेताओं की करामात है।
यह जीत की शुरुआत है।

नेताओं ने दिया देश को
छोड़ मंझधारे तो क्या?
ज्योत घर–घर जल चुकी है
बुझ गये तारे तो क्या?
रात जगना तो है लेकिन
कुछ समय की रात है।
यह जीत की शुरुआत है।

तोड़ने की कोशिशें सब
हो गई नाकाम है
आज हम थोड़े नहीं
साथ सब आवाम है
एकता से कह रहे हम,
हम सभी एक जात है।
यह जीत की शुरुआत है।

जीत होगी सत्य की ही
यह हमें विश्वास है
एक थे हम एक रहेंगे
हमको पूरी आस है
झूठ पाखण्ड को हमेशा
सत्य ने दी मात है
यह जीत की शुरुआत है।