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जीने की इच्छा / पेटर रोज़ेग्ग
Kavita Kosh से
शुभरात्रि ! दोस्तो शुभरात्रि !
मैं ख़ुश हूँ -- मैं जी रहा हूँ
ख़ूबसूरत है दुनिया मेरे चारों ओर
ईश्वर ! तेरा धन्यवाद
दुनिया यह सुन्दर मुझे भा रही है
लेकिन है बेहद दुख की बात
मुझे नींद आ रही है
ओह, मैं देखना चाहता हूँ
यह मेरा प्यारा देश
चमके चमकीली धूप में
बदल जाए सब भेष
बाँहों के घेरे में
मैं लेना चाहूँ आकाश
पर हो रहा है मुझे
गहरी नींद का भास
जैसे हर शाम बच्चे
बिस्तर पर जाते हैं
मैं वैसे ही चुपचाप
क़ब्र में लुढ़क रहा हूँ
जीने की इच्छा है
पर माननी पड़ेगी यह बात
ईश्वर बुला रहा सोने को
हो गई जीवन की रात
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय