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जीवतो पाथर / जितेन्द्र सोनी

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थूं कैयो
थम
म्हैं थमग्यो
अबै बरसां बाद ई
उडीकूं
जे कदै भूल्या-भटक्या
टिपो इण मारग
तो हेत सूं छू भर लीज्यो
का ठोकर मार दीज्यो
म्हूंं जीवतो पाथर
मुगत होय जासूं।