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जीवत गारी लाख दें मरत ही घाले बार / शिवदीन राम जोशी
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जीवत गारी लाख दें मरत ही घाले बार,
जीवत भूख निकार हैं मरे मिठाई त्यार।
मरे मिठाई त्यार यार क्या कहना जग में,
मरे देत सुखसेज बिखोरे माया (तारा) मग में।
अंधकार संसार में भज मन सीताराम,
शिवदीन चले ना संग में कोई तन धन धाम।
राम गुण गायरे।