भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवनवृत्त / मुकुल दाहाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: मुकुल दाहाल  » जीवनवृत्त

जीवनवृत्त

शाम की सुपारी दातों से काटता हूँ
उससे आगे की गोधूली का चूइंगम चबाता हूँ
आँखों में भार लादकर
दिन के मस्त उजाले में
प्रवेश कर जाता हूँ।
सूरज के साथ घूमने निकलता हूँ।
हवा के छोर तक पहुँच
लौट पड़ता हूँ।
रात की रजाई ओढ़ता हूँ
आँखों को दबाकर पूरी रात
नीँद की सिटकनी फँसाता हूँ।
सबेरे का चॉकलेट चूसता हूँ।
जीवन के चक्रपथ में भोग ऊँचा हो रहा है
बुद्धि की जीभ चलाता हूँ।
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।

मूल नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी