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जीवन्ते जी हाथ ना आउं / रणवीर सिंह दहिया
Kavita Kosh से
जीवन्ते जी हाथ ना आउं आजाद नै किया ऐलान था॥
कदे पुलिस हाथ ना आया घणा सजग इनसान था॥
सताईस फरवरी का दिन इसका हाल सुणाउं
सन उनीस सौ इकतीस का मैं सही साल बताउं
आजाद घिरया दिखाउं अल्प्रैफड पार्क का मैदान था॥
बैठ पार्क मैं लिया सपना आजाद भारत देश का
चित्रा दिल मैं उभरया सब रंगा के समावेश का
इन्तजार था सन्देश का ना पुलिस का अनुमान था॥
दोनूं कान्हीं तै दनादन गोली चाली पार्क मैं डटकै
कैसे बेरा लाया पुलिस नै बात आजाद कै खटकै
पुलिस पास ना फटकै डर छाया बे उनमान था॥
अचूक निशाने का माहिर चन्द्रशेखर आजाद था
भारत देश आजाद कराणा पूरा उसनै आगाज था
रणबीर नया अन्दाज था देना चाहया फरमान था।