Last modified on 20 जुलाई 2009, at 09:54

जीवन-कथा / विमल कुमार

मैंने एक बड़े आअमी की ख़ुशामद की
जल्दी ही मिल गई मुझे नौकरी

मुझे एक लड़की से लाखॊं फ़ायदे थे
मैंने झटपट कर डाली शादी

मैं चाहता था बनना
एक अफ़सर का बाप
तीन-चार बच्चे हो गए

शौक था मुझे सैर-सपाटों का
खरीद डाला मैंने एक स्कूटर

मौक़ा मिला और मैंने एक लम्बा हाथ मारा
फिर क्या एक बंगला बना न्यारा