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जीवन-3 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’

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23.
मन के ढंग
पानिये ऐसनोॅ रे
उठै तरंग।

24.
मानोॅ कहना
क्रोध मंे भूलोॅ नाय
गुस्सा सहना।

25.
पैसा रोॅ यार
रहै दिन दू-चार
फिरू फरार।

26.
ऊ गमखोर
मुँहोॅ में नाय बोली
आँखी नै लोर।

27.
भूखें मरलै
क्रिया कराय केॅ ऊ
स्वर्गे रे गेलै।

28.
तोरोॅ जुदाई
खुशी के सबटा रे
भेलै विदाई।

29.
मुँहोॅ में राम
मगर बदनाम
भेलै हराम।

30.
जपै छै राम
मगर छोड़ै कहाँ
बुरा जे काम।

31.
रे कर्जखोर
अभियो तेॅ अपनोॅ
आदत छोड़।

32.
कैन्होॅ बहाना
इल्जाम लगाय केॅ
झूठे सताना।

33.
भूली नै जैहोॅ
केकरो एहसान
सदा निभैहोॅ।