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जीवन के अर्थ / किरण मल्होत्रा

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तुमने जो कहा
वो
मैं समझी नही
मैने
जो समझा
वो
तुमने कहा नही

इस
कहने-सुनने में
कितने दिन
निकल गए
और
फिर समझने में
शायद
पूरी जिन्दगी
निकल जाए

लेकिन
फिर भी
अगर तुम
मेरी समझ को
समझ सको
किसी दिन
ज़िन्दगी को
शायद
अर्थ मिल जाए
उस दिन