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जीवन के दुःख शोक ताप में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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जीवन के दुःख शोक ताप में
वाणी एक ऋषि की ही समाई मेरे चित्त में
दिन-दिन होती ही रहती वह उज्जवल से उज्जवलतर -
‘विश्व का प्रकाश है आनन्द अमृत के रूप में।’
अनेक क्षुद्र विरुद्ध प्रमाणों से
महान को करना खर्व सहज एक पटुता है।
अन्तहीन देश काल में महिमा है परिव्याप्त
केवल एक सत्य की,
देखता है जो उसे अखण्ड रूप में
इस जगत में उसी का जन्म सार्थक है।