भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन के ये पल / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन के ये प्यारे पल

आज नहीं तो फिर ये कल ।

बह जाएँगे इन हाथों से

करते कल कल छल छल ।।

जिन्हें छोड़ दें; वे मुस्काएँ

दुख की धूप कभी न आए ।

जो मिल जाएँ आगे पथ में

उनके लिए भी कुछ कर जाएँ।।

अपना जीवन लुटते जाना

खोना -खोना ,कुछ न पाना ।

दर्द उठे फिर फ़िर मुस्काना

आँसू आए, गीत सुनाना ।।

नन्हीं कलियाँ गले लगाकर

खुशबू के नग़में बन जाना ।

कोयल जागे तो जग जाना

कोयल सोए तो सो जाना ।।