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जीवन को जीने की ज़िद में / नईम
Kavita Kosh से
जीवन को जीने की जिद में,
जोड़-तोड़ मंे-
अच्छे-भले लोग, बैरागी औ बैरागिन,
लगे हुए हैं अदना से आला तक हर दिन;
सकत नहीं रह गई-
हमारे हाड़-गोड़ में।
उल्टी गिनती शुरू हो गई है अब अपनी,
झमकाती तो झमकाए अब नैना ठगिनी;
गठिया बैठ गया है-
आसों जोड़े-जोड़ में।
प्राणवायु की कमी जिस तरह होती जाती,
इसी तरह कम होते जाते संगी-साथी;
कितना टुच्चा समय खड़ा है-
आज होड़ में।