भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन छोटा है / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
जीवन छोटा है
उससे भी छोटा
तुम्हारा साथ
इन्द्रधनुष रच रहा है
कुछ पलों का साथ
न बिसरेगा कभी
न होगा ओझल
जगी - मुँदी पलकों से