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जीवन में श्रम करना है / मृदुला झा

हमको आगे बढ़ना है।

छोड़ पुरानी बातों को,
रोज़ नया कुछ गढ़ना है।

भूली बिसरी यादों में,
रंग नया नित भरना है।

खुशियाँ द्वारे बरसेंगी,
जु़ल्मत से अब लड़ना है।

कल-कल, छल-छल बहता है,
जीवन भी इक झरना है।

कल का खौफ़ करें क्यों हम,
निर्भय होकर चलना है।