भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन सफल करो / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन सफल करो
करूँ आरती मातु भारती! चरण-चरण उतरो

फूले फेनिल जलनिधि-सा मन
कल्लोलित हिल्लोलित यौवन,
शारद-हासिनि! हे नभ-वासिनि! स्वर-आभरण धरो

तृण- तरु-चेतन, भू-नभ-कविता
नखत रजत-अक्षर, रज-सविता
अमृत-विलासिनी! जगत-प्रकाशिनि! जन-जन-मन विहरो

करुणामयि, शतरूपिणि, धन्या
अंतर-छाया-ज्योति अनन्या
भव-भय-नाशिनि! हृदय-हुलासिनि! मंगल-राग भरो
जीवन सफल करो
करूँ आरती मातु भारती! चरण-चरण उतरो