भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन सूरजमुखी / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
मज़दूरिन किरणों के
साथ चल
साथ गल
जीवन सूरजमुखी ।
गन्ध-कृपण ईश्वर के गीत
गा-गा कर क्या जीना
भाग्य लिखा धूप भरा पन्थ
स्वेद का ज़हर पीना
मुँहदेखी तारीफ़ों
के तले
व्यंग्य ले
बैठी है बेरुख़ी
जीवन सूरजमुखी
मज़दूरिन किरणों के
साथ चल