जीवन होता चार दिनों का, करें सदा शुभ काम।
कर्म समर्पित हों सब प्रभु को, भला करेंगे राम॥
मृत्यु अवश्यम्भावी होती, है यह सबको ज्ञात।
प्रखर सूर्य जब ढल जाता तो, आती काली रात॥
रहे कालिमा कुछ घंटे की, पुनि उगता आदित्य।
सुख-दुख का क्रम इसी तरह से, आता रहता नित्य॥
अमर कीर्ति करने वालों का, जग लेता है नाम।
कर्म समर्पित हों सब प्रभु को, भला करेंगे राम॥
श्रेष्ठ जनों की यादें सबको, कर देतीं बेचैन।
अनायास तब अविरल आँसू, बरसाते हैं नैन॥
एक मुसाफिर बन कर जग में, आते हैं हमलोग।
परमेश्वर को पाने का है, यह नर तन संयोग॥
इष्ट भजन के साथ करें हम, कर्म सभी निष्काम॥
कर्म समर्पित हों सब प्रभु को, भला करेंगे राम॥
सारे जीव जगत के होते, क्षणिक और म्रियमाण।
अटल ईश की भक्ति दिलाती, भवसागर से त्राण॥
कृपा प्राप्त है प्रभु की जिसको, उसका है कल्याण।
अर्थ धर्म पुनि काम सहित वह, पा लेता निर्वाण॥
जन्म मृत्यु का चक्र छूटना, है अन्तिम विश्राम॥
कर्म समर्पित हों सब प्रभु को, भला करेंगे राम॥