भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन / आशमा कौल
Kavita Kosh से
स्वप्नों के बादल
जब उड़ते हुए
यथार्थ की धरा पर
बरसते हैं
यादों के अनगिनत मोती
तब समय के धागे से
निकलकर बिखरते हैं ।
महसूस होता है
उस समय,
यह उड़ना और बरसना
ही जीवन है ।
भोग-विलास में
उड़ते हुए मनुष्य को
मोक्ष प्राप्ति के लिए
बरसना है ।
बादल का मोक्ष है
धरती पर बरसना
मनुष्य का मोक्ष है
मिट्टी से मिलना ।
सपनों के बादल
बार-बार उड़ते हैं
यथार्थ की धरा पर
पुनः बरसते हैं
जीवन का क्रम
इसी तरह चलता है ।