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जीवन / मल्लिका अमर शेख़ / सुनीता डागा
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जीवन को जानने में
बहुत हुई तकलीफ़
फिर जीने से किनारा ही कर लिया
और देखिए, सब सरल-सहज होता गया
मरे हुए हिरण की आँखों की मानिन्द …
मूल मराठी से अनुवाद : सुनीता डागा