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जीवांगे तै प्यार मोहब्बत दिन और रात करांगे / मेहर सिंह

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पहलम जीम रसोई पाछै अगली बात करांगे
जीवांगे तै प्यार मोहब्बत दिन और रात करांगे।टेक

दिलदार बैठकै जीम रसोई मैं पंखा झोलूंगी
बैठ्या हुक्म बजाएं जा मैं खातर मैं डोलूंगी
अपणी तेरी शादी की मैं काजी आगै बोलूंगी
जै माता नै नहीं सुणी तै भेद पिता तै खोलूंगी
म्हारे नाम का के कुछ न्याय हो कल पंचायत करांगे।

जै पंच फैसला भी नहीं हुआ तै आगे की करूं चढ़ाई
मैं कानून में भरी पड़ी सूं तूं भी जाणै खूब पढ़ाई
आड़ै फैसला नहीं हुआ तै करूं शिमले तलक लड़ाई
लाहौर कचहरी मैं देखी जा कितनी अक करै बड़ाई
उड़ै भी फैसला नहीं हुआ तै दायर केस बिल्लात करांगे।

जब तक तेल रहै दीवै में जलती ज्योती रह्या करै
परखणियां माणस कै धोरै सच्चा, मोती रह्या करै
प्यार मोहब्बत में ख्वारी दुनियां में होती रह्या करै
बीर मर्द की राजी चाहिए न्यूंए दुनियां रोती रह्या करै
हम दोनूं सांझ सवेरी नित मुलाकात करांगे।

दोनूं बखतां राम रटण मैं जगह राम का जान लिया
रात और दिन की सेवा करकै सीख गुरु तै ज्ञान लिया
उस दानी नै मंगता बणकै झोली कै म्हां दान लिया
स्वार्थी संसार सभी तनै मेहर सिंह पहचान लिया
गुरु तै बती प्यारयां कै चल हाजिर गात करांगे।