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जीव दया / कन्हैया लाल सेठिया
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नहीं हुवै चमचेडां नै अबखाई
इण खातर
जीव दया पालणियां ढोंगी
बन्द करदी कोटडी री बारी
जकै स्यूं आंतो हो मांय
सूरज रो उजास,
कीड़ी नगरै नै आटो सींचणियां
ऊंदरा री रोळदट स्यूं
पिंड छुड़ाणै सारू
पाळ राखी है एक मिनकी,
जे कदेई कोई
आज्यावै भूखो मिनख
मांगै रोटी रो टुकड़ो
दुतकार’र बीं नै
झट स्यूं ढक लैवे घर रो बारणो
फिरै है संवेदणा रो
मुखोटो लगायां
इंयाल’रा डाकी
जका समझै भोळै मिनखा नै
आपरा खाजरू !