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जी करता है / प्रीति समकित सुराना
Kavita Kosh से
जी करता अब जी भर जी लूँ,
साथ मिला तेरा।
हँस कर सह लूँ सुख दुख सारे,
कहता मन मेरा॥
अंतस पर घनघोर घटा के
मौसम आए थे,
उमड़ घुमड़ दहशत के बादल
नभ पर छाए थे,
बिखरे बिखरे मन को मेरे
गम ने था घेरा।
जी करता अब जी भर जी लूँ,
साथ मिला तेरा
हँस कर सह लूँ सुख दुख सारे,
कहता मन मेरा॥
आज सजाये सपने फिर से
सोच नई पाई,
छोड़ निराशा की बातों को
नव आशा लाई,
मिटे अंधेरे गहन व्याप्त हो
किरणों का घेरा...
जी करता अब जी भर जी लूँ
साथ मिला तेरा।
हँस कर सह लूँ सुख दुख सारे
कहता मन मेरा॥
पथ में कांटे बहुत बिछे थे
डर के थे साये,
महका मेरे मन का उपवन
फूल तुम्ही लाये,
फिर से मेरे मन आँगन में
खुशियों का डेरा,
जी करता अब जी भर जी लूँ
साथ मिला तेरा।
हँस कर सह लूँ सुख दुख सारे
कहता मन मेरा॥