जी रहे फूलों के संग / इमरोज़ / हरकीरत हकीर
फूल तोड़ा फूल मर गया
घरों में मदिरों में टूटे फूलों संग
पूजा होती आ रही है और आज भी हो रही है
किसी को भी कभी जीते फूलों संग पूजा करने की
न कभी सोच आई है न ख्याल
राम कृष्ण एक बार एक मंदिर का पुजारी बना था
उस मंदिर में भी टूटे फूलों संग पूजा होती आ रही थी
पर राम कृष्ण ने टूटे फूलों संग पूजा नहीं की
कितने ही दिन मंदिर में कोई पूजा न हुई
लोगों ने मंदिर के मालिक को शिकायत की
मंदिर के मालिक ने राम कृष्ण से कारण पूछा
राम कृष्ण ने कहा टूटे हुए फूलों से कोई पूजा नहीं हो सकती
मंदिर के मालिक को राम कृष्ण समझ आ गया
एक दिन राम कृष्ण मंदिर के बाहर बैठा मंदिर के अहाते
में लगे फूलों के पौधे देख रहा था, देखते हुए लगा
कि पौधे भी उसे देख रहे हैं, फूलों का देखना देख
राम कृष्ण को अपनी मर्ज़ी की पूजा दिख गई
राम कृष्ण की मनचाही पूजा शुरू हो गई
जब देवता को फूल चढाने का वक़्त आया
मंदिर की खिड़की से दिखते फूलों के पौधों को देखकर
पौधों के फूल पौधों समेत राम कृष्ण ने हाथ जोड़कर
देवता से कहकर देवता को चढा दिए
पौधों समेत पौधों के फूल देवता को चढ़े,
देवता ने भी पहली बार
बंद आँखों संग भी देखे
पूजा ने भी पहली बार जी रहे फूलों संग पूजा करके देखी
और जी कर भी...
अब यह अपनी तरह की पहली पूजा
हर रोज़ हो रही है पौधों के फूलों की हाजिरी में
और राम कृष्ण की हाजिरी में भी...