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जी लेने दो / शकुन्त माथुर
Kavita Kosh से
जी लेने दो
मुझे
वह कोरा अर्थ
जो मेरे लिए सच्चा है
रख लेने दो मुझे
वही मेरे पास
जो नितान्त मेरा अपना है
पी लेने दो
वह चाह
वह रस
जो मेरे लिए अच्छा है
संचित कर लेने दो वह
जो
घूम रहा है नस-नस में
हर धड़कन में जीवन
जिसको जीकर मैं जान सकूँ
मैंने भी कुछ
अपनी तरह जिया है।