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जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे,
आया म्हारा गणपत राव,
हरकत पगरण आरम्भियो।
जी हो आज म्हारी पटसाळ लहलहे
आया म्हारा दशरथ बाप,
हरकत पगरण आरम्भियो।
जी हो आज म्हारो पाळणो लहलहे
आई म्हारी कौशल्या माय,
हरकत पगरण आरम्भियो।
जी हो आज म्हारो मण्डप लहलहे
आया म्हारा राम-लछमण बीरा
हरकत पगरण आरम्भियो।
जी हो आज म्हारी आरती लहलहे
आई म्हारी सुभद्रा बेण।
हरकत पगरण आरम्भियो।